Skip to main content

बहुत सुंदर कथा  हनुमान जी की Hanuman

बहुत सुंदर कथा  हनुमान जी की

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

एक साधु महाराज श्री रामायण कथा सुना रहे थे।  लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। साधु महाराज का नियम था रोज कथा शुरू  करने से पहले "आइए हनुमंत जी बिराजिए" कहकर हनुमान जी का आह्वान करते थे, फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे।

एक वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्तिभाव पर एक दिन तर्कशीलता हावी हो गई।

उन्हें लगा कि महाराज रोज "आइए हनुमंत जी बिराजिए" कहते हैं तो क्या हनुमान जी सचमुच आते होंगे!

अत: वकील साहब ने महात्मा जी से पूछ ही डाला- महाराज जी, आप रामायण की कथा बहुत अच्छी कहते हैं।

हमें बड़ा रस आता है परंतु आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमान जी को देते हैं उसपर क्या हनुमान जी सचमुच बिराजते हैं?

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

साधु महाराज ने कहा… हाँ यह मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि रामकथा हो रही हो तो हनुमान जी अवश्य पधारते हैं।

वकील ने कहा… महाराज ऐसे बात नहीं बनेगी।

हनुमान जी यहां आते हैं इसका कोई सबूत दीजिए ।

आपको साबित करके दिखाना चाहिए कि हनुमान जी आपकी कथा सुनने आते हैं।

महाराज जी ने बहुत समझाया कि भैया आस्था को किसी सबूत की कसौटी पर नहीं कसना चाहिए यह तो भक्त और भगवान के बीच का प्रेमरस है, व्यक्तिगत श्रद्घा का विषय है । आप कहो तो मैं प्रवचन करना बंद कर दूँ या आप कथा में आना छोड़ दो।

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

लेकिन वकील नहीं माना, वो कहता ही रहा कि आप कई दिनों से दावा करते आ रहे हैं। यह बात और स्थानों पर भी कहते होंगे,इसलिए महाराज आपको तो साबित करना होगा कि हनुमान जी कथा सुनने आते हैं।

इस तरह दोनों के बीच वाद-विवाद होता रहा।

मौखिक संघर्ष बढ़ता चला गया। हारकर साधु महाराज ने कहा… हनुमान जी हैं या नहीं उसका सबूत कल दिलाऊंगा।

कल कथा शुरू हो तब प्रयोग करूंगा।

जिस गद्दी पर मैं हनुमानजी को विराजित होने को कहता हूं आप उस गद्दी को आज अपने घर ले जाना।

कल अपने साथ उस गद्दी को लेकर आना और फिर मैं कल गद्दी यहाँ रखूंगा।

मैं कथा से पहले हनुमानजी को बुलाऊंगा, फिर आप गद्दी ऊँची उठाना।

यदि आपने गद्दी ऊँची कर दी तो समझना कि हनुमान जी नहीं हैं। वकील इस कसौटी के लिए तैयार हो गया।

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

महाराज ने कहा… हम दोनों में से जो पराजित होगा वह क्या करेगा, इसका निर्णय भी कर लें ?.... यह तो सत्य की परीक्षा है।

वकील ने कहा- मैं गद्दी ऊँची न कर सका तो वकालत छोड़कर आपसे दीक्षा ले लूंगा।

आप पराजित हो गए तो क्या करोगे?

साधु ने कहा… मैं कथावाचन छोड़कर आपके ऑफिस का चपरासी बन जाऊंगा।

अगले दिन कथा पंडाल में भारी भीड़ हुई जो लोग रोजाना कथा सुनने नहीं आते थे,वे भी भक्ति, प्रेम और विश्वास की परीक्षा देखने आए।

काफी भीड़ हो गई।

पंडाल भर गया।

श्रद्घा और विश्वास का प्रश्न जो था।

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

साधु महाराज और वकील साहब कथा पंडाल में पधारे... गद्दी रखी गई।

महात्मा जी ने सजल नेत्रों से मंगलाचरण किया और फिर बोले "आइए हनुमंत जी बिराजिए" ऐसा बोलते ही साधु महाराज के नेत्र सजल हो उठे ।

मन ही मन साधु बोले… प्रभु ! आज मेरा प्रश्न नहीं बल्कि रघुकुल रीति की पंरपरा का सवाल है।

मैं तो एक साधारण जन हूँ।

मेरी भक्ति और आस्था की लाज रखना।

फिर वकील साहब को निमंत्रण दिया गया आइए गद्दी ऊँची कीजिए।

लोगों की आँखे जम गईं ।

वकील साहब खड़ेे हुए।

उन्होंने गद्दी उठाने के लिए हाथ बढ़ाया पर गद्दी को स्पर्श भी न कर सके !

जो भी कारण रहा, उन्होंने तीन बार हाथ बढ़ाया, किन्तु तीनों बार असफल रहे।

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

महात्मा जी देख रहे थे, गद्दी को पकड़ना तो दूर वकील साहब गद्दी को छू भी न सके।

तीनों बार वकील साहब पसीने से तर-बतर हो गए।

वकील साहब साधु महाराज के चरणों में गिर पड़े और बोले महाराज गद्दी उठाना तो दूर, मुझे नहीं मालूम कि क्यों मेरा हाथ भी गद्दी तक नहीं पहुंच पा रहा है।

अत: मैं अपनी हार स्वीकार करता हूं।

कहते है कि श्रद्घा और भक्ति के साथ की गई आराधना में बहुत शक्ति होती है। मानो तो देव नहीं तो पत्थर।

प्रभु की मूर्ति तो पाषाण की ही होती है लेकिन भक्त के भाव से उसमें प्राण प्रतिष्ठा होती है तो प्रभु बिराजते है।

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

Mo:~8511028585

🙏🙏जय श्री राम🙏🙏

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Jagat Shiromani Temple 06/10/2024

Jagat Shiromani Temple  Temple Pandaji  Introduction Jagat Shiromani Temple is a Hindu Shrine in Amer, Jaipur district in Rajasthan, is dedicated to the Hidu Gods Meera Bai, Krishna, and Vishnu. Construction of this temple took nine long years between 1599 and 1608 AD by Queen Kanakwati, wife of Raja Man Singh. It makes it even more emotional to know that she, a mother, built it in the loving memory of their son Jagat Singh, who died at a young age of 34 years. The Queen wanted this temple to be universally famous, hence named it Jagat Shiromani Mani – meaning jewel on the head of Lord Vishnu. Since then, this temple has been a monument of National importance. Being affiliated to Hinduism, this temple is considered as an essential part of Amer history and has a beautiful statue of Lord Krishna. According to Hindu scriptures, it is supposed to be the same statue that Meera Bai worshiped in the State of Mewar. The Architecture of Jagat Shiromani Temple is...

पिता का स्वरुप shiv ji

  पिता का स्वरुप  एक बार गणेश जी ने भगवान शिव जी से कहा, पिता जी ! आप यह चिता भस्म लगा कर मुण्डमाला धारण कर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुन्दरी औऱ आप उनके साथ इस भयंकर रूप में ! पिता जी ! आप एक बार कृपा कर के अपने सुन्दर रूप में माता के सम्मुख आयें, जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें ! भगवान शिव जी मुस्कुराये औऱ गणेश की बात मान ली ! कुछ समय बाद जब शिव जी स्नान कर के लौटे तो उनके शरीर पर भस्म नहीं थी … बिखरी जटाएँ सँवरी हुईं मुण्डमाला उतरी हुई थी ! 🚩🙏🏻द्वारकाधीश तीर्थपुरोहित   राजीव भट्ट  8511028585 🙏🏻🚩 https://whatsapp.com/channel/0029Va5Nd51IiRp27Th9V33D 🌹🙏🏻 G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585🙏🏻🌹 सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, शिवगण उन्हें अपलक देखते रह गये, वो ऐसा रूप था कि मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाए ! भगवान शिव ने अपना यह रूप कभी प्रकट नहीं किया था ! शिव जी का ऐसा अतुलनीय रूप कि करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था ! गणेश अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देख कर स्तब्ध रह गये मस्तक झुका कर बोले मुझे क्षमा करें पिता जी !...

li.घमंडी-राजा.li story #2023

li.घमंडी-राजा.li द्वारकाधीश तीर्थपुरोहित  राजीव भट्ट  8511028585  G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji  Watsapp:~ 8511028585 एक राज्य में एक राजा राज करता था। वह एक शानदार महल में रहता था, जो कीमती पत्थरों से बना था और जिसमें तरह-तरह की नक्काशियां की हुई थीं। महल इतना सुंदर था कि उसके चर्चे दूर दूर तक फैले हुए थे। उसके महल के मुकाबले का महल आसपास के किसी भी राज्य के राजा के पास नहीं था। जो भी राजा का महल देखता, उसकी प्रशंसा के पुल बांध देता। अपने महल की प्रशंसा सुनकर राजा फूला नहीं समाता। धीरे धीरे उसमें घमंड घर कर गया। जो भी उसके महल में आता, वह अपेक्षा करता कि उसके महल की प्रशंसा करे। यदि कोई उसके महल की प्रशंसा नहीं करता, तो उसे बुरा लग जाता था। द्वारकाधीश तीर्थपुरोहित  राजीव भट्ट  8511028585  एक बार एक साधु उसके दरबार में आया। साधु से शास्त्र ज्ञान लेने के बाद राजा ने उससे कहा, “गुरुवर! आज की रात आप यहीं ठहरें। मैं आपके रुकने की व्यवस्था करवाता हूं।” साधु ने स्वीकृति देते हुए उत्तर दिया, “राजन्! इस सराय में मैं अवश्य ठहरूंगा।” अपने महल को सरा...