क्यों समझ से बाहर है "स्त्री" ? G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 ''त्रिया-चरित्रम्'' अर्थात तीन प्रकार के चरित्र ! १ - सात्विक, २- राजसिक , ३- तामसिक ! ब्रह्माण्ड का सञ्चालन सुचारु रूप से चलाने के लिये उन्होंने तीन प्राकृतिक गुणों की रचना की जो सत्व, राजस तथा तम नाम से जनि जाती हैं। साथ ही इन त्रिगुणों के ''परिचालन'' हेतु, त्रि-देवो की संरचना की। निर्माण या रचना, पालन तथा संहार, ये तीनो ही सञ्चालन हेतु ''संतुलित'' रूप में अत्यन्त आवश्यक हैं। G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585 त्रिगुणात्मक प्रकृति, शक्ति या बल, "सात्विक (सत्व), राजसिक (रजो) तथा तामसिक (तमो)" तीन श्रेणियों में विभाजित हैं। हिन्दू वैदिक दर्शन के अनुसार संसार के प्रत्येक जीवित और निर्जीव तत्त्व, की उत्पत्ति या जन्म इन्हीं गुणों के अधीन हैं। ब्रह्मांड के सुचारु ''संचालन'' हेतु, इन ''तीन गुण'' अत्यंत ''अनिवार्य'' हैं, इनके बिना ''ब्रह्मांड...