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श्री विष्णुसहस्त्रनाम महिमा | विष्णुसहस्त्रपाठ की विधि | ShriVishnusahsranaam Mahima |Vishnusahasra path vidhi |

श्री विष्णुसहस्त्रनाम महिमा | विष्णुसहस्त्र पाठ की विधि | Shri Vishnusahsranaam Mahima | Vishnusahasra path vidhi | G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji  Watsapp:~ 8511028585 श्री विष्णुसहस्त्रनाम महिमा जब भी सहस्त्र नाम शब्द की बात होती है सर्वप्रथम सबके मन में श्री विष्णुसहस्त्रनाम मुख पर सर्व प्रथम आता है। हालांकि सभी देवी देवताओ का नाम हमारे शास्त्रों में बताया हुआ है। लेकिन विष्णुसहस्त्रनाम कलियुग में औषधि के रूप में काम कर रहा है| ये दुनिया में कई लोगो ने अनुभव में पाया है। विष्णु के इन एक हजार नामों में मानव धर्म के बारे में बताया गया है. मनुष्य द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से होने वाले सभी काम और उनके फलों का वर्णन है. जैसे सहस्रनाम में 135वां नाम ‘धर्माध्यक्ष’ है. इसका मतलब है कि कर्म के अनुसार इंसान को पुरस्कार या दंड देने वाले देव ...G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji  Watsapp:~ 8511028585 विष्णुसहस्त्रनाम क्या है ? विष्णुसहस्त्रनाम गरुड़पुराण,पद्मपुराण,मत्स्यपुराण में भी उल्लेखित किया हुआ है। किन्तु सबसे प्रसीद्ध जो विष्णुसहस्त्र है वो है महाभारत के अनुशासनपर्व क...

सभी बंधन ओर बाधा दूर करने और दूसरे को बंधन करने और शत्रुओं को वश करने के लिए मारुतिस्तोत्रम् मारुतिस्तोत्रम् पाठ hanuman path vashikaran bandhan tantra

सभी बंधन ओर बाधा दूर करने और दूसरे को बंधन करने और शत्रुओं को वश करने के लिए मारुतिस्तोत्रम्  मारुतिस्तोत्रम् Facebook/instagram/youtube @ Dwarkadhish Pandaji  Watsapp 8511028585 श्रीगणेशाय नम: ॥  ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।  प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।  प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।  भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।  शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।  ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।  मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।  मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।  व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन  शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।  क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।  श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय  चूर्णय चूर्णय खे खे  श्री...