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Showing posts from May, 2020

आत्मा परमात्मा का मिलन संबंध story blog

💞 आत्मा परमात्मा का मिलन संबंध 💞 Facebook /Instagram @ Dwarkadhish Pandaji Wapp ;:~~ 8511028585 ईश्वर को लेकर लोगों की अजीब मान्यताएं है । कोई ईश्वर की मनुहार कर रहा है, उन्हें तरह – तरह के लोभ देकर बहलाने और फुसलाने की कोशिश करता है और फिर कहते है – “ यह भक्ति है ।” हो सकता है आपको बुरा लगे लेकिन यह भक्ति नहीं जालसाजी है ।  यह आपकी मुर्खता है कि आप ईश्वर को अपने जाल में फ़साना चाहते है ।  यह सब दुनिया में इसलिए हो रहा है क्योंकि असल में लोग ईश्वर को जानते नहीं । इसलिए जब कोई ढोंगी बाबा आपको कहता है – “ उस देवता के वहाँ, यह – यह कर दो ! आपका काम हो जायेगा ।” और आप बिना कुछ सोचे समझे वह सब करने लगते हो।  हमारा काम हो न हो उस बाबा का काम हो रहा है । मैं यहाँ किसी का विरोध नहीं करना चाहती। लेकिन सत्य का समर्थन करना ही ईश्वर की इच्छा है । Facebook /Instagram @ Dwarkadhish PandajiWapp ;:~~ 8511028585 आज सुबह जब मैं ध्यान कर रही थी। तब मुझे इस लेख की प्रेरणा हुई । उसी बात को आप तक पहुँचाने के लिए मैंने यह लेख लिखा है ।  यदि हम आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझ सके । यदि ह...

सभी बंधन ओर बाधा दूर करने और दूसरे को बंधन करने और शत्रुओं को वश करने के लिए मारुतिस्तोत्रम् मारुतिस्तोत्रम् पाठ hanuman path vashikaran bandhan tantra

सभी बंधन ओर बाधा दूर करने और दूसरे को बंधन करने और शत्रुओं को वश करने के लिए मारुतिस्तोत्रम्  मारुतिस्तोत्रम् Facebook/instagram/youtube @ Dwarkadhish Pandaji  Watsapp 8511028585 श्रीगणेशाय नम: ॥  ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।  प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।  प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।  भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।  शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।  ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।  मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।  मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।  व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन  शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।  क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।  श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय  चूर्णय चूर्णय खे खे  श्री...

सात ठाकुर जो वृंदावन मे प्रकट हुए है vrindavan story

सात ठाकुर जो वृंदावन मे प्रकट हुए है  Google/Facebook/instagram/tiktok @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585 1. गोविंददेव जी , जयपुर  कंहा से मिली :वृंदावन के गौमा टीला से  यहा है स्थापित :जयपुर के राजकीय महल मे रूप गोस्वामी को श्री कृष्ण की यह मुर्ति वृंदावन के गौमा टीला नामक स्थान से वि.सं.  1535 मे मिली थी ।उन्होंने उसी स्थान पर छोटी सी कुटिया मे इस मूर्ति को स्थापित किया ।इसके बाद रघुनाथ भट्ट गोस्वामी ने गोविंददेव जी की सेवा पूजा संभाली उन्ही के समय मे आमेर नरेश मानसिंह ने गोविंददेव जी का भव्य मंदिर बनवाया इस मंदिर मे गोविंददेव जी 80 साल विराजे, औरंगजेब के शासन काल मे बृज पर हुए हमले के समय गोविंद जी को उनके भक्त जयपुर ले गए,  तबसे गोविंदजी जयपुर के राजकीय महल मंदिर मे विराजमान है  2. मदन मोहन जी, करौली कहा से मिली :वृंदावन के कालीदह के पास  द्वादशादित्य टीले से  यहा है स्थापित : करौली  (राजस्थान )मे यह मूर्ति अद्वैत प्रभु को वृंदावन के द्वादशादित्य टीले से प्राप्त हुई थी उन्होंने सेवा पूजा के लिए यह मूर्ति मथुरा के एक चत...