Skip to main content

ज्ञानी लड़की ज्ञानप्रद कथा पुरानी कहानियां life lesson

ज्ञानी लड़की ज्ञानप्रद कथा
🔸🔹🔹🔸

F/g+/t @Dwarkadhish Pandaji
बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था. उस किसान की एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी. दुर्भाग्यवश, गाँव के जमींदार से उसने बहुत सारा धन उधार लिया हुआ था. जमीनदार बूढा और कुरूप था. किसान की सुंदर बेटी को देखकर उसने सोचा क्यूँ न कर्जे के बदले किसान के सामने उसकी बेटी से विवाह का प्रस्ताव रखा जाये.

जमींदार किसान के पास गया और उसने कहा – तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ कर दो, बदले में मैं तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा . जमींदार की बात सुन कर किसान और किसान की बेटी के होश उड़ गए.तब जमींदार ने कहा –चलो गाँव की पंचायत के पास चलते हैं और जो निर्णय वे लेंगे उसे हम दोनों को ही मानना होगा.वो सब मिल कर पंचायत के पास गए और उन्हें सब कह सुनाया. उनकी बात सुन कर पंचायत ने थोडा सोच विचार किया और कहा-

ये मामला बड़ा उलझा हुआ है अतः हम इसका फैसला किस्मत पर छोड़ते हैं . जमींदार सामने पड़े सफ़ेद और काले रोड़ों के ढेर से एक काला और एक सफ़ेद रोड़ा उठाकर एक थैले में रख देगा फिर लड़की बिना देखे उस थैले से एक रोड़ा उठाएगी, और उस आधार पर उसके पास तीन विकल्प होंगे :

F/g+/t @Dwarkadhish Pandaji

१. अगर वो काला रोड़ा उठाती है तो उसे जमींदार से शादी करनी पड़ेगी और उसके पिता का कर्ज माफ़ कर दिया जायेगा.

२. अगर वो सफ़ेद पत्थर उठती है तो उसे जमींदार से शादी नहीं करनी पड़ेगी और उसके पिता का कर्फ़ भी माफ़ कर दिया जायेगा.

३. अगर लड़की पत्थर उठाने से मना करती है तो उसके पिता को जेल भेज दिया जायेगा।

पंचायत के आदेशानुसार जमींदार झुका और उसने दो रोड़े उठा लिए . जब वो रोड़ा उठा रहा था तो तब तेज आँखों वाली किसान की बेटी ने देखा कि उस जमींदार ने दोनों काले रोड़े ही उठाये हैं और उन्हें थैले में डाल दिया है।

लड़की इस स्थिति से घबराये बिना सोचने लगी कि वो क्या कर सकती है , उसे तीन रास्ते नज़र आये:

१. वह रोड़ा उठाने से मना कर दे और अपने पिता को जेल जाने दे.

२. सबको बता दे कि जमींदार दोनों काले पत्थर उठा कर सबको धोखा दे रहा हैं.

३. वह चुप रह कर काला पत्थर उठा ले और अपने पिता को कर्ज से बचाने के लिए जमींदार से शादी करके अपना जीवन बलिदान कर दे.

F/g+/t @Dwarkadhish Pandaji

उसे लगा कि दूसरा तरीका सही है, पर तभी उसे एक और भी अच्छा उपाय सूझा , उसने थैले में अपना हाथ डाला और एक रोड़ा अपने हाथ में ले लिया . और बिना रोड़े की तरफ देखे उसके हाथ से फिसलने का नाटक किया, उसका रोड़ा अब हज़ारों रोड़ों के ढेर में गिर चुका था और उनमे ही कहीं खो चुका था .

लड़की ने कहा – हे भगवान ! मैं कितनी फूहड़ हूँ . लेकिन कोई बात नहीं .आप लोग थैले के अन्दर देख लीजिये कि कौन से रंग का रोड़ा बचा है , तब आपको पता चल जायेगा कि मैंने कौन सा उठाया था जो मेरे हाथ से गिर गया.

थैले में बचा हुआ रोड़ा काला था , सब लोगों ने मान लिया कि लड़की ने सफ़ेद पत्थर ही उठाया था.जमींदार के अन्दर इतना साहस नहीं था कि वो अपनी चोरी मान ले .लड़की ने अपनी सोच से असम्भव को संभव कर दिया.

F/g+/t @Dwarkadhish Pandaji

मित्रों, हमारे जीवन में भी कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जहाँ सबकुछ धुंधला दीखता है, हर रास्ता नाकामयाबी की और जाता महसूस होता है पर ऐसे समय में यदि हम परमपरा से हट कर सोचने का प्रयास करें तो उस लड़की की तरह अपनी मुशिकलें दूर कर सकते हैं।

#ladiesstory #lifelesson #thought #humanity #intrest #facebook #class

F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji

Mo:-- 8511028585
🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Temple Darshan Slok

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं।  क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है? आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई।  वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए।  यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं। आप इस श्लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं।  यह श्लोक इस प्रकार है –  अनायासेन मरणम्, बिना देन्येन जीवनम्। देहान्त तव सानिध्यम्,  देहि मे परमेश्वरम्।। इस श्लोक का अर्थ है :  ●अनायासेन मरणम्... अर्थात् बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े, कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं। ● बिना देन्येन जीवनम्... अर्थात् परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस...

बहुत सुंदर कथा  हनुमान जी की Hanuman

बहुत सुंदर कथा  हनुमान जी की F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji एक साधु महाराज श्री रामायण कथा सुना रहे थे।  लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। साधु महाराज का नियम था रोज कथा शुरू  करने से पहले "आइए हनुमंत ...

पिता का स्वरुप shiv ji

  पिता का स्वरुप  एक बार गणेश जी ने भगवान शिव जी से कहा, पिता जी ! आप यह चिता भस्म लगा कर मुण्डमाला धारण कर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुन्दरी औऱ आप उनके साथ इस भयंकर रूप में ! पिता जी ! आप एक बार कृपा कर के अपने सुन्दर रूप में माता के सम्मुख आयें, जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें ! भगवान शिव जी मुस्कुराये औऱ गणेश की बात मान ली ! कुछ समय बाद जब शिव जी स्नान कर के लौटे तो उनके शरीर पर भस्म नहीं थी … बिखरी जटाएँ सँवरी हुईं मुण्डमाला उतरी हुई थी ! 🚩🙏🏻द्वारकाधीश तीर्थपुरोहित   राजीव भट्ट  8511028585 🙏🏻🚩 https://whatsapp.com/channel/0029Va5Nd51IiRp27Th9V33D 🌹🙏🏻 G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585🙏🏻🌹 सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, शिवगण उन्हें अपलक देखते रह गये, वो ऐसा रूप था कि मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाए ! भगवान शिव ने अपना यह रूप कभी प्रकट नहीं किया था ! शिव जी का ऐसा अतुलनीय रूप कि करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था ! गणेश अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देख कर स्तब्ध रह गये मस्तक झुका कर बोले मुझे क्षमा करें पिता जी !...