Skip to main content

पंचतंत्र की कहानी: आलसी ब्राह्मण

पंचतंत्र की कहानी: आलसी ब्राह्मण

G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585

बहुत समय की बात है. एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था. उसकी ज़िंदगी में बेहद ख़ुशहाल थी. उसके पास भगवान का दिया सब कुछ था. सुंदर-सुशील पत्नी, होशियार बच्चे, खेत-ज़मीन-पैसे थे. उसकी ज़मीन भी बेहद उपजाऊ थी, जिसमें वो जो चाहे फसल उगा सकता था. लेकिन एक समस्या थी कि वो ख़ुद बहुत ही ज़्यादा आलसी था. कभी काम नहीं करता था. उसकी पत्नी उसे समझा-समझा कर थक गई थी कि अपना काम ख़ुद करो, खेत पर जाकर देखो, लेकिन वो कभी काम नहीं करता था. वो कहता, “मैं कभी काम नहीं करूंगा.” उसकी पत्नी उसके अलास्य से बेहद परेशान रहती थी, लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती थी. एक दिन एक साधु ब्राह्मण के घर आया और ब्राह्मण ने उसका ख़ूब आदर-सत्कार किया. ख़ुश होकर सम्मानपूर्वक उसकी सेवा की. साधु ब्राह्मण की सेवा से बेहद प्रसन्न हुआ और ख़ुश होकर साधु ने कहा कि “मैं तुम्हारे सम्मान व आदर से बेहद ख़ुश हूं, तुम कोई वरदान मांगो.” ब्राह्मण को तो मुंहमांगी मुराद मिल गई. उसने कहा, “बाबा, कोई ऐसा वरदान दो कि मुझे ख़ुद कभी कोई काम न करना पड़े. आप मुझे कोई ऐसा आदमी दे दो, जो मेरे सारे काम कर दिया करे.”
बाबा ने कहा, “ठीक है, ऐसा ही होगा, लेकिन ध्यान रहे, तुम्हारे पास इतना काम होना चाहिए कि तुम उसे हमेशा व्यस्त रख सको.” यह कहकर बाबा चले गए और एक बड़ा-सा राक्षसनुमा जिन्न प्रकट हुआ. वो कहने लगा, “मालिक, मुझे कोई काम दो, मुझे काम चाहिए.”
ब्राह्मण उसे देखकर पहले तो थोड़ा डर गया और सोचने लगा, तभी जिन्न बोला, “जल्दी काम दो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा.”
G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585
ब्राह्मण ने कहा, “जाओ और जाकर खेत में पानी डालो.” यह सुनकर जिन्न तुरंत गायब हो गया और ब्राह्मण ने राहत की सांस ली और अपनी पत्नी से पानी मांगकर पीने लगा. लेकिन जिन्न कुछ ही देर में वापस आ गया और बोला, “सारा काम हो गया, अब और काम दो.”
ब्राह्मण घबरा गया और बोला कि अब तुम आराम करो, बाकी काम कल करना. जिन्न बोला, “नहीं, मुझे काम चाहिए, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा.”
ब्राह्मण सोचने लगा और बोला,“तो जाकर खेत जोत लो, इसमें तुम्हें पूरी रात लग जाएगी.” जिन्न गायब हो गया. आलसी ब्राह्मण सोचने लगा कि मैं तो बड़ा चतुर हूं. वो अब खाना खाने बैठ गया. वो अपनी पत्नी से बोला, “अब मुझे कोई काम नहीं करना पड़ेगा, अब तो ज़िंदगीभर का आराम हो गया.” ब्राह्मण की पत्नी सोचने लगी कि कितना ग़लत सोच रहे हैं उसके पति. इसी बीच वो जिन्न वापस आ गया और बोला, “काम दो, मेरा काम हो गया. जल्दी दो, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा.”
ब्राह्मण सोचने लगा कि अब तो उसके पास कोई काम नहीं बचा. अब क्या होगा? इसी बीच ब्राह्मण की पत्नी बोली, “सुनिए, मैं इसे कोई काम दे सकती हूं क्या?”

ब्राह्मण ने कहा, “दे तो सकती हो, लेकिन तुम क्या काम दोगी?”
ब्राह्मण की पत्नी ने कहा, “आप चिंता मत करो. वो मैं देख लूंगी.”
वो जिन्न से मुखातिब होकर बोली, “तुम बाहर जाकर हमारे कुत्ते मोती की पूंछ सीधी कर दो. ध्यान रहे, पूंछ पूरी तरह से सीधी हो जानी चाहिए.”G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585

जिन्न चला गया. उसके जाते ही ब्राह्मण की पत्नी ने कहा, “देखा आपने कि आलस कितना ख़तरनाक हो सकता है. पहले आपको काम करना पसंद नहीं था और अब आपको अपनी जान बचाने के लिए सोचना पड़ रहा कि उसे क्या काम दें.”
ब्राह्मण को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और वो बोला, “तुम सही कह रही हो, अब मैं कभी आलस नहीं करूंगा, लेकिन अब मुझे डर इस बात का है कि इसे आगे क्या काम देंगे, यह मोती की पूंछ सीधी करके आता ही होगा. मुझे बहुत डर लग रहा है. हमारी जान पर बन आई अब तो. यह हमें मार डालेगा.”
ब्राह्मण की पत्नी हंसने लगी और बोली, “डरने की बात नहीं, चिंता मत करो, वो कभी भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाएगा.”
वहां जिन्न लाख कोशिशों के बाद भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाया. पूंछ छोड़ने के बाद फिर टेढ़ी हो जाती थी. रातभर वो यही करता रहा.
ब्राह्मण की पत्नी ने कहा, “अब आप मुझसे वादा करो कि कभी आलस नहीं करोगे और अपना काम ख़ुद करोगे.”
ब्राह्मण ने पत्नी से वादा किया और दोनों चैन से सो गए.
अगली सुबह ब्राह्मण खेत जाने के लिए घर से निकला, तो देखा जिन्न मोती की पूंछ ही सीधी कर रहा था. उसने जिन्न को छेड़ते हुए पूछा, “क्या हुआ, अब तक काम पूरा नहीं हुआ क्या? जल्दी करो, मेरे पास तुम्हारे लिए और भी काम हैं.”
जिन्न बोला, “मालिक मैं जल्द ही यह काम पूरा कर लूंगा.”
ब्राह्मण उसकी बात सुनकर हंसते-हंसते खेत पर काम करने चला गया और उसके बाद उसने आलस हमेशा के लिए त्याग दिया.

सीख: आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है. अपनी मदद आप करने से ही कामयाबी मिलती है और आलस करने से ज़िंदगी में बड़ी मुसीबतें आ सकती हैं.G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585

Comments

  1. 🌼II જય દ્વારકાધીશ II🌼🌷👏

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Temple Darshan Slok

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं।  क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है? आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई।  वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए।  यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं। आप इस श्लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं।  यह श्लोक इस प्रकार है –  अनायासेन मरणम्, बिना देन्येन जीवनम्। देहान्त तव सानिध्यम्,  देहि मे परमेश्वरम्।। इस श्लोक का अर्थ है :  ●अनायासेन मरणम्... अर्थात् बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े, कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं। ● बिना देन्येन जीवनम्... अर्थात् परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस...

बहुत सुंदर कथा  हनुमान जी की Hanuman

बहुत सुंदर कथा  हनुमान जी की F/g+/t @ Dwarkadhish pandaji एक साधु महाराज श्री रामायण कथा सुना रहे थे।  लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। साधु महाराज का नियम था रोज कथा शुरू  करने से पहले "आइए हनुमंत ...

पिता का स्वरुप shiv ji

  पिता का स्वरुप  एक बार गणेश जी ने भगवान शिव जी से कहा, पिता जी ! आप यह चिता भस्म लगा कर मुण्डमाला धारण कर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुन्दरी औऱ आप उनके साथ इस भयंकर रूप में ! पिता जी ! आप एक बार कृपा कर के अपने सुन्दर रूप में माता के सम्मुख आयें, जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें ! भगवान शिव जी मुस्कुराये औऱ गणेश की बात मान ली ! कुछ समय बाद जब शिव जी स्नान कर के लौटे तो उनके शरीर पर भस्म नहीं थी … बिखरी जटाएँ सँवरी हुईं मुण्डमाला उतरी हुई थी ! 🚩🙏🏻द्वारकाधीश तीर्थपुरोहित   राजीव भट्ट  8511028585 🙏🏻🚩 https://whatsapp.com/channel/0029Va5Nd51IiRp27Th9V33D 🌹🙏🏻 G/F/in/t @ Dwarkadhish Pandaji Watsapp:~ 8511028585🙏🏻🌹 सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, शिवगण उन्हें अपलक देखते रह गये, वो ऐसा रूप था कि मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाए ! भगवान शिव ने अपना यह रूप कभी प्रकट नहीं किया था ! शिव जी का ऐसा अतुलनीय रूप कि करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था ! गणेश अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देख कर स्तब्ध रह गये मस्तक झुका कर बोले मुझे क्षमा करें पिता जी !...